राजीव गांधी: भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री की अनसुनी कहानी

राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 को मुंबई में हुआ। वे भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के नाती और इंदिरा गांधी के बड़े बेटे थे। बचपन से ही उनका जीवन राजनीति से जुड़ा रहा, लेकिन वे खुद इस रास्ते पर नहीं आना चाहते थे। राजीव गांधी का मन मशीनों और तकनीक में ज्यादा लगता था। यही कारण था कि उन्होंने लंदन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Group Join Now

राजीव गांधी का बचपन विशेषाधिकारों से भरा हुआ था, लेकिन उसमें अनुशासन और सादगी का भी अनोखा संगम था। उनकी दादी कमला नेहरू और मां इंदिरा गांधी ने हमेशा उन्हें भारतीय संस्कृति और मूल्यों से जोड़कर रखा।

राजीव गांधी का पायलट से लेकर नेता बनने तक का सफर

राजीव गांधी की शुरुआती पढ़ाई भारत में हुई, लेकिन बाद में वे विदेश पढ़ाई के लिए गए। उनका झुकाव राजनीति से ज्यादा तकनीकी और विमानन क्षेत्र की ओर था। पढ़ाई पूरी करने के बाद वे भारत लौटे और इंडियन एयरलाइंस में बतौर पायलट नौकरी करने लगे।

उनका जीवन साधारण और सामान्य था। वे परिवार के साथ समय बिताना पसंद करते थे और राजनीति से दूरी बनाए रखते थे। लेकिन 1980 में उनके छोटे भाई संजय गांधी की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई। यह घटना न केवल परिवार बल्कि पूरे देश के लिए बड़ा झटका थी। इंदिरा गांधी को लगा कि अब राजीव गांधी को राजनीति में आना ही होगा। यही वह मोड़ था जिसने उनकी ज़िंदगी की दिशा बदल दी।

राजीव गांधी का राजनीति में प्रवेश और करियर की शुरुआत

संजय गांधी की मृत्यु के बाद राजीव गांधी धीरे-धीरे राजनीति में सक्रिय हुए। वे सीधे सत्ता में नहीं आए, बल्कि धीरे-धीरे जनता और संगठन से जुड़कर अपनी भूमिका निभाने लगे। 1981 में वे अमेठी से सांसद चुने गए। यहां से उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई।

राजीव गांधी का व्यक्तित्व बेहद शांत, संयमित और आधुनिक सोच वाला था। वे राजनीति की परंपरागत शैली से अलग हटकर सोचते थे। उनकी भाषा, उनकी शैली और उनका तरीका युवाओं को खासा प्रभावित करता था।

  • 1980 में एक बड़ी दुर्घटना हुई। राजीव गांधी के छोटे भाई संजय गांधी की विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी।
  • संजय गांधी राजनीति में सक्रिय थे और इंदिरा गांधी उन्हें अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी मानती थीं।

प्रधानमंत्री बनने की कहानी

1984 भारत के इतिहास का सबसे दुखद वर्ष साबित हुआ। 31अक्टूबर को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई। पूरे देश में गुस्सा और आक्रोश फैल गया। इस समय कांग्रेस पार्टी और देश को एक ऐसे नेता की जरूरत थी जो देश को संभाल सके। सभी की नजरें राजीव गांधी पर थीं।

इंदिरा गांधी की हत्या के कुछ ही घंटों बाद, राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। वे मात्र 40 वर्ष की आयु में भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने। यह जिम्मेदारी उनके लिए आसान नहीं थी, लेकिन उन्होंने हिम्मत और दृढ़ संकल्प से इसे स्वीकार किया।

राजीव गांधी ने 1981 में अमेठी से चुनाव लड़ा और सांसद बने। उनकी साफ-सुथरी छवि और शांत स्वभाव ने लोगों को काफी प्रभावित किया। राजनीति में आने के बाद भी उन्होंने अपने सहज और सरल स्वभाव को बरकरार रखा।

राजीव गांधी का जीवन केवल एक राजनेता की कहानी नहीं है, बल्कि यह एक ऐसे इंसान की कहानी है जिसने अपने सपनों को त्यागकर देश के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। वे भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने देश को आधुनिकता की राह पर आगे बढ़ाने का सपना दिखाया।

WhatsApp Join Now
Telegram Join Now

Leave a Comment

WhatsApp Icon