भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां की लगभग 60% जनता सीधे तौर पर खेती-बाड़ी पर निर्भर है। किसान हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, लेकिन सबसे बड़ी सच्चाई यह है कि किसानों की मेहनत अक्सर मौसम, प्राकृतिक आपदाओं और बाजार की अस्थिरता पर निर्भर होती है। एक ओर अगर अच्छी बारिश होती है, तो किसान की फसल लहलहा उठती है, वहीं दूसरी ओर बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, सूखा, बाढ़ या कीटों का प्रकोप उनके साल भर की मेहनत को बर्बाद कर देता है। यही कारण है कि किसानों के सामने सबसे बड़ी चुनौती “फसल की सुरक्षा” की होती है।
इन्हीं समस्याओं के समाधान के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) की शुरुआत की थी।
योजना की पृष्ठभूमि और महत्व
भारत के किसानों को दशकों से यह शिकायत रही है कि उनकी मेहनत का उचित मूल्य नहीं मिल पाता और प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान की भरपाई कभी समय पर नहीं होती। पहले की बीमा योजनाएं इतनी जटिल थीं कि किसानों तक उसका लाभ पहुंच ही नहीं पाता था। 2016 में शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का मकसद ये था – “एक राष्ट्र, एक बीमा योजना” की तर्ज पर किसानों को सुरक्षा कवच देना।
इस योजना के तहत किसान अपनी खरीफ और रबी की फसलों के लिए बहुत कम प्रीमियम दर पर बीमा करा सकते हैं। खरीफ फसल पर 2%, रबी फसल पर 1.5% और बागवानी फसलों पर 5% तक का प्रीमियम रखा गया। शेष राशि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर देती हैं।
आर्थिक और सामाजिक असर
- किसान अब आत्मविश्वास के साथ खेती कर रहे हैं।
- परिवारों में आर्थिक स्थिरता आ रही है।
- कर्ज के बोझ में कमी आ रही है।
- आत्महत्या की घटनाओं में गिरावट दर्ज हो रही है।
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई जान फूंक रही है।
2025 में हुए बड़े बदलाव
वर्ष 2025 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को किसानों की ज़रूरतों के हिसाब से और मजबूत बनाया गया है। अब बीमा क्लेम की प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल हो गई है। किसान अपने मोबाइल से ही नुकसान की जानकारी अपलोड कर सकते हैं और कुछ ही दिनों में उन्हें मुआवज़ा सीधे बैंक खाते में मिल जाता है।
इसके अलावा सरकार ने बजेट में अब तक की सबसे बड़ी राशि इस योजना के लिए निर्धारित की है, जिससे करोड़ों किसानों को कवर किया जा सकेगा। यह बदलाव इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि इससे पहले कभी किसानों के बीमा क्लेम को इतनी प्राथमिकता के साथ हल नहीं किया गया था।
- 100% डिजिटल क्लेम प्रक्रिया: अब किसान अपने मोबाइल फोन से फोटो अपलोड करके नुकसान की रिपोर्ट दर्ज कर सकता है।
- ड्रोन और AI सर्वे: फसल के नुकसान का आकलन अब तकनीक से हो रहा है, जिससे पारदर्शिता बनी है।
- तेज़ भुगतान प्रणाली: पहले किसानों को क्लेम के लिए महीनों इंतजार करना पड़ता था, अब पैसा सीधे बैंक खाते में 7–15 दिनों के भीतर पहुंच रहा है।
- बजट में ऐतिहासिक बढ़ोतरी: सरकार ने 2025-26 के लिए इस योजना में अब तक का सबसे बड़ा आवंटन किया है।
- लाखों किसानों को लाभ: इस साल 6 करोड़ से अधिक किसानों ने बीमा योजना का लाभ उठाया।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना 2025 भारतीय किसानों के लिए उम्मीद की नई किरण बनकर सामने आई है। इस योजना ने साबित कर दिया है कि अगर सही नीयत और तकनीक के साथ काम किया जाए तो किसान को उसकी मेहनत का उचित सम्मान और सुरक्षा मिल सकती है।