ITR Filing 2025: आखिरी वक्त का गाइड, टैक्स और रिफंड दोनों पर फोकस

भारत में हर वित्तीय वर्ष के अंत के बाद टैक्सपेयर का सबसे अहम काम होता है Income Tax Return (ITR) दाखिल करना। जैसे-जैसे ITR Filing 2025 की डेडलाइन नज़दीक आती है, वैसे-वैसे लाखों लोग अपने दस्तावेज़ इकट्ठा करने, फॉर्म भरने और समय पर रिटर्न जमा करने की तैयारी में जुट जाते हैं। पर अक्सर ऐसा होता है कि लोग आखिरी समय तक इंतज़ार करते हैं और फिर जल्दबाज़ी में फाइलिंग करते हैं, जिससे गलतियाँ और दिक़्क़तें बढ़ जाती हैं। और कही साडी प्रोबलेम आती है।

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इस आर्टिकल में हम समझेंगे कि ITR फाइलिंग क्यों ज़रूरी है, आखिरी वक्त में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, टैक्स बचत के क्या विकल्प हैं, रिफंड का प्रोसेस कैसा होता है और अगर आप समय पर ITR फाइल नहीं करते तो क्या नुकसान उठाने पड़ सकते हैं।

ए.वाई. 2025–26 के लिए ITR Filing 2025 की आखिरी तारीख 15 सितंबर नज़दीक है। करदाता तेज़ी से रिटर्न फाइलिंग की तैयारी कर रहे हैं ताकि टैक्स बचत अधिकतम हो और रिफंड जल्दी मिल सके।

आमतौर पर निवेश 31 मार्च तक करने होते हैं, लेकिन अंतिम समय पर भी कुछ स्मार्ट कदम टैक्स बोझ घटा सकते हैं। इस समय लोग कागज़ात जुटाने, बैंक स्टेटमेंट मिलाने और घोषणाओं की पुष्टि में लगे हुए हैं। चुनौती यह है कि फाइलिंग पूरी तरह सही हो ताकि बाद में कोई परेशानी न आए।

टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस बार भी बड़ी संख्या में लोग आखिरी दिनों में रिटर्न फाइल करेंगे, जिससे ऑनलाइन पोर्टल पर लोड बढ़ना तय है। इसलिए HRA, 80C निवेश या हेल्थ इंश्योरेंस जैसी डिटेल तुरंत अपडेट करना बेहतर है।

रिफंड समय पर पाने के लिए बैंक डिटेल्स, पैन-आधार लिंक और ई-वेरिफिकेशन दुरुस्त होना ज़रूरी है।

ITR Filing 2025 सिर्फ टैक्स भरने की औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह आपकी वित्तीय योजना का अहम हिस्सा है। समय पर रिटर्न भरने से न केवल पेनल्टी से बचा जा सकता है, बल्कि अतिरिक्त भरे गए टैक्स का रिफंड भी आसानी से मिल जाता है। जिसे और कोई जल्बाजी नहीं करनी पड़ती है।

रिफंड तभी मिलता है जब आपके टैक्स दायित्व से अधिक TDS या एडवांस टैक्स जमा हो चुका हो। इसके लिए ITR फाइल करते समय सही बैंक अकाउंट डिटेल भरना और ई-वेरिफिकेशन करना ज़रूरी है।

ई-वेरिफाई होने के बाद आपका ITR प्रोसेस होता है और आमतौर पर कुछ हफ्तों में रिफंड सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता है।

  • फॉर्म का गलत चयन – कई लोग यह तय नहीं कर पाते कि ITR-1, ITR-2 या ITR-3 में से कौन-सा फॉर्म भरना है।
  • डॉक्यूमेंट्स का अभाव – आधार कार्ड, पैन कार्ड, फॉर्म 16, बैंक स्टेटमेंट, निवेश प्रूफ जैसे दस्तावेज़ भूल जाते हैं।
  • टैक्स बचत की योजना न बनाना – सेक्शन 80C, 80D या अन्य कटौती का लाभ नहीं ले पाते।
  • रिफंड के लिए गलत बैंक अकाउंट डालना – जिससे रिफंड अटक जाता है।
  • OTP या ई-वेरिफिकेशन मिस करना – रिटर्न फाइल करने के बाद ई-वेरिफाई करना ज़रूरी है।

अगर आप चाहते हैं कि आपका टैक्स रिफंड जल्दी आपके खाते में आए, तो कुछ छोटे-छोटे लेकिन ज़रूरी कदम आपकी मदद कर सकते हैं।

सबसे पहले, जल्दी ITR फाइल करना हमेशा फायदेमंद रहता है। जितनी देर आप फाइलिंग करेंगे, उतना ही प्रोसेसिंग में समय लग सकता है। आखिरी हफ्ते में फाइल करने वालों को अक्सर देरी का सामना करना पड़ता है।

दूसरा, यह ध्यान रखें कि आपके AIS (Annual Information Statement) और 26AS में दी गई जानकारी आपकी ITR डिटेल्स से मेल खाती हो। अगर आय, TDS या एडवांस टैक्स में कोई गड़बड़ी मिलती है तो रिफंड रिजेक्ट भी हो सकता है।

इसके बाद, रिटर्न फाइल करने के तुरंत बाद ई-वेरिफिकेशन कर लें। चाहे आधार OTP से करें या नेट बैंकिंग से, यह स्टेप आपके रिफंड अप्रूवल को तेज़ कर देता है।

और सबसे अहम बात, सुनिश्चित करें कि आपका बैंक अकाउंट पहले से प्री-वैलिडेटेड हो और PAN से लिंक्ड हो। क्योंकि रिफंड केवल ऐसे खातों में ही भेजा जाता है।

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