भारत में हर साल लाखों करदाता (Taxpayers) अपनी मेहनत की कमाई का सही हिसाब-किताब सरकार के साथ परस्पर करते हैं। इस प्रक्रिया को ही हम Income Tax Return (ITR) Filing कहते हैं। यह न केवल एक कानूनी दायित्व है बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक होने का प्रमाण भी है। जो इसको निभाना पड़ता है।
सरकार का बड़ा ऐलान 2025 हाल ही में तब सामने आया जब वित्त मंत्रालय ने घोषणा की कि ITR भरने की समय सीमा 15 सितंबर से बढ़ाकर 16 सितंबर कर दी गई है। यह एक दिन का विस्तार छोटा जरूर लग सकता है, लेकिन लाखों करदाताओं के लिए यह किसी राहत से कम नहीं है।
ITR भरने की समय मर्यादा क्या है?
ITR फाइल करने की समय सीमा वह आखिरी तारीख होती है, जिसके अंदर आपको अपने सालभर की आय, टैक्स, निवेश और डिडक्शंस (कटौती) का पूरा विवरण सरकार के पास जमा करना होता है। जो साल भर उसको रखते है।
अगर आप निर्धारित समय सीमा में रिटर्न फाइल कर देते हैं, तो आपको कई फायदे मिलते हैं:
- समय पर रिफंड मिलना
- ब्याज और जुर्माने से बचाव
- लोन और वीज़ा आवेदन में आसानी
- वित्तीय रिकॉर्ड मजबूत होना
सरकार का बड़ा ऐलान 2025 इसलिए अहम है क्योंकि बहुत से लोग आखिरी दिनों तक इंतजार करते हैं और अब वो तकनीकी वजहों से समय पर ITR फाइल नहीं कर पाते। इस अतिरिक्त समय से उन्हें बड़ी राहत मिलेगी।
किसे 16 सितंबर तक ITR फाइल करना अनिवार्य है?
आयकर विभाग ने इस साल गैर-ऑडिट करदाताओं (Non-Audit Taxpayers) के लिए ITR दाख़िल करने की आखिरी तारीख 16 सितंबर तय की है। इस दायरे में अधिकतर सैलरीड कर्मचारी, पेंशन प्राप्त करने वाले, एनआरआई (NRI) और वे सभी लोग आते हैं जिनके खातों का ऑडिट अनिवार्य नहीं है।
जहाँ तक ऑडिटेड अकाउंट वालों का सवाल है—उनके लिए समयसीमा पहले की तरह 31 अक्टूबर ही रखी गई है।
आम तौर पर हर साल 31 जुलाई तक रिटर्न भरने की समय-सीमा होती है। मगर इस बार सरकार को इसे आगे बढ़ाना पड़ा। वजह थी – अपडेटेड ITR फॉर्म्स को जारी करने में हुई देरी। साथ ही, अंतरिम बजट में पूंजीगत लाभ (Capital Gains) से जुड़े प्रावधानों में बदलाव के कारण भी कई सुधार आवश्यक थे। इन बदलावों के चलते करदाताओं को अतिरिक्त समय देने का निर्णय लिया गया।
इसलिए अब उन करदाताओं को राहत मिली है जो ऑडिट की श्रेणी में नहीं आते। लेकिन याद रखें, डेडलाइन के बाद फाइल करने पर लेट फीस और ब्याज का बोझ बढ़ सकता है।
सरकार का रुख और करदाताओं के लिए संदेश
कई बार व्यवसायिक संगठनों और टैक्स से जुड़ी संस्थाओं के दबाव से सरकारें निर्णयों पर पुनर्विचार करती हैं। लेकिन इस बार साफ संकेत यही हैं कि सरकार 15 सितंबर 2025 की ITR फाइलिंग डेडलाइन पर अडिग है। जब तक कोई बहुत बड़ा व्यवधान न हो, इस तारीख को आगे बढ़ाए जाने की संभावना बेहद कम दिख रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि करदाताओं को आखिरी समय तक इंतज़ार नहीं करना चाहिए। एक तो पोर्टल पर लोड बढ़ने का खतरा रहता है, दूसरा देर से फाइलिंग करने पर कई बार तकनीकी गड़बड़ियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में समझदारी इसी में है कि समय रहते अपनी ITR फाइल कर दी जाए और बाद की परेशानियों से बचा जाए।
सरकार का यह सख्त रुख इस संदेश को भी मजबूत करता है कि करदाताओं को अब अपनी ज़िम्मेदारी समय पर निभाने की आदत डालनी होगी।
गर कोई करदाता 16 सितंबर की ITR Filing 2025 की अंतिम तारीख चूक जाता है, तो इसके कई सीधे असर पड़ते हैं। सबसे पहले, आयकर अधिनियम की धारा 234F के तहत 5,000 रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। हालाँकि, अगर किसी की सालाना आय 5 लाख रुपये से कम है तो यह जुर्माना घटकर 1,000 रुपये रह जाता है।
दूसरा बड़ा नुकसान यह है कि लेट फाइल करने वालों को अपने कुछ प्रकार के नुकसान (Losses) को आगे के वर्षों में कैरी फॉरवर्ड करने का अधिकार नहीं मिलेगा। यानी, कैपिटल लॉस या बिजनेस लॉस जैसी राहतें हाथ से निकल सकती हैं।
इसके अलावा, लेट फाइलिंग से टैक्स रिफंड की प्रक्रिया भी लंबी हो जाती है। जिन लोगों को रिफंड मिलना है, उन्हें देर से फाइलिंग की वजह से कई हफ्तों या महीनों तक इंतजार करना पड़ सकता है। इतना ही नहीं, देर से दाखिल रिटर्न टैक्स विभाग की कड़ी जांच के घेरे में भी आ सकता है, जिससे करदाताओं को अनावश्यक नोटिसों और प्रश्नों का सामना करना पड़ सकता है।