भारत की पारंपरिक कारीगरी, हुनर और हस्तशिल्प हमेशा से देश की पहचान रहे हैं। चाहे बात हो सुनारों की नाजुक कारीगरी की, बढ़ई के बेमिसाल काम की, या लोहार, बुनकर, कुम्हार, मोची जैसे कारीगरों के हुनर की—ये सभी लोग हमारी संस्कृति और अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। लेकिन लंबे समय से इन कारीगरों को आर्थिक चुनौतियों, आधुनिक तकनीक की कमी और बाज़ार तक सही पहुंच न होने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा है।
इन्हीं समस्याओं को दूर करने और कारीगरों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भारत सरकार ने “प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना (PM Vishwakarma Yojana)” की शुरुआत की है। अब 2025 में यह योजना और भी व्यापक, आसान और डिजिटल रूप में लागू की जा रही है, ताकि देश के हर कारीगर तक इसके फायदे पहुंच सकें।
PM Vishwakarma Yojana 2025 का उद्देश्य
इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश के पारंपरिक कारीगरों और हस्तशिल्पकारों को न सिर्फ आर्थिक सहायता देना है, बल्कि उन्हें आधुनिक उपकरण, ट्रेनिंग और मार्केट कनेक्टिविटी प्रदान करना भी है।
सरकार चाहती है कि हर कारीगर अपने हुनर को नई ऊंचाइयों पर ले जाकर आत्मनिर्भर बने और देश के “मेक इन इंडिया” विज़न में योगदान दे।
2025 में क्या बदला?
- 100% ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया – अब कारीगर घर बैठे अपने मोबाइल या CSC सेंटर के जरिए आवेदन कर सकते हैं।
- बढ़ी हुई वित्तीय सहायता – पहले की तुलना में ज्यादा लोन और सब्सिडी उपलब्ध होगी।
- आधुनिक टूलकिट – हर रजिस्टर्ड कारीगर को सरकारी सहायता से आधुनिक उपकरण दिए जाएंगे।
- ग्लोबल मार्केट से कनेक्टिविटी – सरकार ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के जरिए कारीगरों को दुनिया भर के ग्राहकों से जोड़ेगी।
- फ्री ट्रेनिंग और प्रमाणपत्र – स्किल अपग्रेडेशन के लिए मुफ्त ट्रेनिंग और राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सर्टिफिकेट।
जरूरी दस्तावेज़
- आधार कार्ड
- बैंक पासबुक
- पासपोर्ट साइज फोटो
- मोबाइल नंबर
- कार्य का प्रमाण (यदि हो)
योजना का प्रभाव
- उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा बढ़ेगी।
- भारत के हस्तशिल्प को वैश्विक स्तर पर पहचान मिलेगी।
- कारीगरों की आय में वृद्धि होगी।
सरकार का उद्देश्य है कि 2025 के अंत तक कम से कम 30 लाख कारीगरों को इस योजना से जोड़ा जाए और उन्हें डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत मिशन का हिस्सा बनाया जाए।