2025 भारत में जमीन और प्रॉपर्टी से जुड़े कामकाज के लिए एक ऐतिहासिक बदलाव का साल साबित होने जा रहा है। अब तक लोग जमीन की रजिस्ट्री करवाने के लिए घंटों सरकारी दफ्तरों में लाइन में खड़े रहते थे, कई बार तो पूरा दिन निकल जाता था और फिर भी काम अधूरा रह जाता था। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। Land Registry New Rules 2025 के तहत सरकार ने रजिस्ट्री की प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल, पारदर्शी और तेज बनाने का बड़ा ऐलान कर दिया है। इन नए नियमों के लागू होने के बाद आम लोगों को न सिर्फ समय और पैसे की बचत होगी, बल्कि फर्जीवाड़ा और भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगेगी।
बदलाव क्यों जरूरी था?
- समय की बर्बादी: कई बार एक साधारण रजिस्ट्री में 4–5 घंटे से लेकर पूरा दिन लग जाता था।
- भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़ा: पुराने सिस्टम में नकली दस्तावेज़ और डुप्लीकेट रजिस्ट्री के मामले अक्सर सामने आते थे।
- बिचौलियों की भूमिका: कई लोग खुद प्रक्रिया समझ नहीं पाते थे, जिससे दलालों का सहारा लेना पड़ता था और अतिरिक्त खर्च बढ़ जाता था।
- ग्रामीण इलाकों की समस्या: गांवों में रजिस्ट्री करवाने के लिए लोगों को शहरों में स्थित कार्यालयों में आना पड़ता था, जिससे समय और पैसे दोनों की बर्बादी होती थी।
भारत में जमीन की रजिस्ट्री हमेशा से एक मुश्किल और लंबी प्रक्रिया मानी जाती है। दस्तावेज़ों की जांच, स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान, पहचान की पुष्टि, रजिस्ट्री ऑफिस के चक्कर और फिर इंतजार—यह सब मिलकर लोगों के लिए तनाव का कारण बन जाता था। कई बार बिचौलियों और दलालों के सहारे ही काम करवाना पड़ता था, जिससे आम आदमी का खर्च और बढ़ जाता था। लेकिन 2025 के नए नियम इन सभी परेशानियों को खत्म करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम हैं।
अब सरकार ने एक ऑनलाइन लैंड रजिस्ट्री पोर्टल लॉन्च किया है, जहां से आप घर बैठे अपने दस्तावेज़ अपलोड कर सकते हैं, स्टाम्प ड्यूटी का डिजिटल भुगतान कर सकते हैं और अपनी पहचान का ऑनलाइन सत्यापन करवा सकते हैं। पहले जहां आपको रजिस्ट्री के लिए पूरे दिन ऑफिस में रहना पड़ता था, वहीं अब यह प्रक्रिया महज 30 से 45 मिनट में पूरी हो जाएगी। यही नहीं, अब हर रजिस्ट्री का एक यूनिक QR कोड भी होगा, जिससे उसकी असलियत तुरंत चेक की जा सकेगी।
इस बदलाव के पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य Ease of Doing Business को बढ़ावा देना और जमीन से जुड़े विवादों को कम करना है। पहले जमीन की डुप्लीकेट रजिस्ट्री या फर्जी दस्तावेज़ तैयार करना आसान था, लेकिन अब डिजिटल वेरिफिकेशन सिस्टम के चलते यह लगभग असंभव हो जाएगा। जब भी कोई रजिस्ट्री होगी, उसकी जानकारी तुरंत राज्य के लैंड रिकॉर्ड सर्वर और केंद्र के डिजिटल डाटाबेस में अपडेट हो जाएगी। इससे कोई भी व्यक्ति अपने मोबाइल या कंप्यूटर पर किसी भी समय जमीन के असली मालिक की जानकारी प्राप्त कर सकेगा।
नए नियमों की प्रमुख विशेषताएं
1.पूरी तरह डिजिटल प्रक्रिया – अब सभी रजिस्ट्री ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से होंगी।
2.बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन अनिवार्य – अंगूठे के निशान और चेहरे की पहचान से धोखाधड़ी की संभावना खत्म।
3.ऑनलाइन भुगतान सुविधा – स्टाम्प ड्यूटी और अन्य शुल्क का भुगतान नेट बैंकिंग, UPI, डेबिट/क्रेडिट कार्ड से।
4.यूनिक QR कोड रजिस्ट्री – जिससे किसी भी समय दस्तावेज़ की असलियत जांची जा सके।
5.ट बुकिंग सिस्टम – भीड़ से बचने और समय पर काम होने के लिए पहले से समय तय करने की सुविधा।
6.ग्रामीण CSC सेंटर से रजिस्ट्री – गांव के लोगों को शहर जाने की जरूरत नहीं।
7.डिजिटल हेल्प डेस्क – तकनीकी जानकारी न रखने वालों की मदद के लिए विशेष काउंटर।
लोगों को इस नई व्यवस्था से परिचित कराने के लिए सरकार बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान भी चला रही है। टीवी, रेडियो, सोशल मीडिया और गांव-गांव में होने वाली बैठकों के जरिए लोगों को बताया जा रहा है कि अब रजिस्ट्री का काम कितना आसान और सुरक्षित हो गया है। साथ ही, यह भी बताया जा रहा है कि नए नियमों में फर्जीवाड़ा करने वालों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है, ताकि कोई भी इस सिस्टम का दुरुपयोग न कर सके।